Devendra 'Kafir'
this blog is dedicated to my own writings,
Friday 11 March 2011
हुसन वालो की अदायें या रब
कैसे हम दिल को बचाएय या रब
वो नशे में करीब लगते हैं
होश में किसलिये आये या रब
अकस अपना वो चूम लेते हैं
ख़ुशी से मर ही न जाए या रब
हाय "काफ़िर " यह नकाब उनका
हम उठाएय या वो उठाएय या रब
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